श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 10

।| श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी चतुर्थ अध्याय: | ।श्री साई ज्ञानेश्वरी का चतुर्थ अध्याय ‘भगवद्भक्ति’ है। ईश्वर के प्रति झुकाव एवं मन में ईश्वर के प्रति लगाव पैदा होना ही भगवद्भक्ति’ है।इस अध्याय में श्री साई के साथ उनके भक्तों के चार संवाद हैं ।श्री साई ने बताया है कि शुद्ध भक्ति…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 9

|| श्री सद्गुरू साईनाथाय नम:अथ श्री साई ज्ञानेश्‍वरी तृतीय अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्‍वरी का तृतीय अध्याय ‘दिव्य ज्ञान’ है |इस अध्याय दुसरा भाग में सद्गुरू श्री साई ने अपने परम भक्‍तश्री नाना साहब चांदोरकर को दिव्य ज्ञान प्रदान किया हे |सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज ने चांदोरकर को बताया हे किईश्वर कौन है, वह…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 8

|| श्री सद्गुरू साईनाथाय नम:अथ श्री साई ज्ञानेश्‍वरी तृतीय अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्‍वरी का तृतीय अध्याय ‘दिव्य ज्ञान’ है |इस अध्याय में सद्गुरू श्री साई ने अपने परम भक्‍त श्री नाना साहब चांदोरकर को दिव्य ज्ञान प्रदान किया हे |सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज ने चांदोरकर को बताया हे कि ईश्वर कौन है, वह…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 6

।| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। द्वितीय: अध्याय – कर्म| | वस्तुतः दोनों का जीवन प्रारब्ध के अधीन है। प्रारब्ध के कारण चोरी करने वाला न पकड़ा जाए, स्वतंत्रतापूर्वक घूमे, परन्तु चोरी के पापकर्म का फल उसका पीछा नहीं छोड़ता, वह उसे कभी न कभी भोगना ही पड़ेगा, उसे भोगने के लिए उसे पुनर्जन्म लेने…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 4

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। ज्ञान – प्रथम: अध्याय || भंडारे के रूप में भी अन्नदान किया जा सकता है।सामूहिक भंडारा कोई भी, कभी भी, अपनी इच्छा से कर सकता है।घर, जमीन, मकान, दुकान, संपत्ति, अनेक प्रतिष्ठान होने पर, अनुकूल समय चलने पर,मनवांछित इच्छा पूरी होने पर एक हजार व्यक्तियों को अन्नदान करें, या…

ऊँ श्री साईनाथाय नमः।

ऊँ साई राम। दर्शन तेरा लाखों भक्तों ने है पाया । खूशबू तेरी महिमा की उदी ने है फैलाई ।। 1 भक्ति-ज्ञान रस है कैसा क्या कहूँ मैं। है ये चीज़ अलग सी जो तुमने मुझे पिलाई।। 2 लाखों भक्त आते हैं अपनी इच्छा लेकर। जो सत्तिच्छा है उसे पूर्ण किया है तूने साई।। 3…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 3

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। ज्ञान – प्रथम: अध्याय || इस संसार में किसी के पास तेज गति से चलने के लिए गाड़ी है, तो किसी के पास रहने के लिए आलीशान मकान है। किसी के पास जाड़े की रात बिताने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहींतो किसी को कपड़ों के अभाव में निर्वस्त्र ही…

श्री साईं ज्ञानेश्वरी

ऊँ सद्गुरू श्री साईनाथाय नम: भूमिका ‘श्री साई ज्ञानेश्वरी’ सदगुरू साईनाथ महाराज के दिव्य ज्ञान का एक अनमोल ग्रंथ है। इसमें जीवन का व्यावहारिक ज्ञान है। यह ज्ञान समसामयिक है और आज कं युग में दुनिया के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इस ज्ञान में वह क्षमता है जो व्यक्ति के जीवन को सार्थकता प्रदान करता…