साई का आशीर्वाद हूँ मैं
सबुरी नामक एक वरदान हूँ मैं |
गहन निशा में कहीं दूर नजर आती
चमकीली आशा की रश्मि हूँ मैं |
अनंत समय के गवाह ध्रुव तारे की तरह
अविनाशी अविस्मृत सत्य हूँ मैं |
कभी मूर्त और संगठित और कभी मृग तृष्णा की तरह
अक्सर तुम्हारे विचारों में व्याप्त रहता हूँ मैं |
साई के मूल मंत्रों का निचोड़ हूँ मैं
अमृत रुपी कल कल बहता शाश्वत सम्बल हूँ मैं |
सायद तुम मुझे कभी समझ सको
इसी की आशा में रहता हूँ मैं |
उत्सुक हूँ में तुम्हारे जीवन पथ के राही बनने का
पलकें बिछा रखी हैं और नाम स्वरुप आशावान हूँ मैं |
जहाँ तुम विश्राम लो और स्फूर्ति पाओ
वो अमर और छाया प्रदित वट वृक्ष हूँ मैं |
साई की सबुरी हूँ मैं
साई का आशीर्वाद हूँ मैं
सबुरी नामक एक वरदान हूँ मैं |