Saburi : Hindi Poem

साई का आशीर्वाद हूँ मैं
सबुरी नामक एक वरदान हूँ मैं |

गहन निशा में कहीं दूर नजर आती
चमकीली आशा की रश्मि हूँ मैं |

अनंत समय के गवाह ध्रुव तारे की तरह
अविनाशी अविस्मृत सत्य हूँ मैं |

कभी मूर्त और संगठित और कभी मृग तृष्णा की तरह
अक्सर तुम्हारे विचारों में व्याप्त रहता हूँ मैं |

साई के मूल मंत्रों का निचोड़ हूँ मैं
अमृत रुपी कल कल बहता शाश्वत सम्बल हूँ मैं |

सायद तुम मुझे कभी समझ सको
इसी की आशा में रहता हूँ मैं |

उत्सुक हूँ में तुम्हारे जीवन पथ के राही बनने का
पलकें बिछा रखी हैं और नाम स्वरुप आशावान हूँ मैं |

जहाँ तुम विश्राम लो और स्फूर्ति पाओ
वो अमर और छाया प्रदित वट वृक्ष हूँ मैं |

साई की सबुरी हूँ मैं
साई का आशीर्वाद हूँ मैं
सबुरी नामक एक वरदान हूँ मैं |

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