Mr Clerk

Mr.Clerk was a Parsi gentleman who lived in Mumbai with his extended family. He first visited Shirdi in 1913. His elder brother was diagnosed with “lunacy” and was getting bouts of violent attacks. During these attacks, he was a threat to his aged mother, as he could not be restrained. Clerk though not affluent had…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 13

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी सप्तम: अध्याय ||‘श्री साई ज्ञानेश्वरी’ का सातवाँ अध्याय “श्री साई का ऐश्वर्य’ है। श्री साई ने सगुण रूप में अवतार लेकरमानवता के हित के लिए जो कार्य किया,वह किसी सामान्य व्यक्ति के वश की बात नहीं।उसे सिर्फ वही कर सकता हैजिसमें अनन्त शक्ति हो, दिव्य क्षमता हो।…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 12

श्री सदगुरू साईनाथाय नमः |अथ श्री साईं ज्ञानेश्वरी षष्ठम्‌ अध्याय ||श्री साई ज्ञानेश्वरी का छठा अध्याय “ईश्वर का ऐश्वर्य’ है। वह जो सम्पूर्ण शक्ति, सम्पूर्ण यश, सम्पूर्ण धन, सम्पूर्ण ज्ञान, सम्पूर्ण सौन्दर्य एवं सम्पूर्ण त्यागआदि छ: प्रकार के ऐश्वर्य से पूर्ण है, वह ईश्वर है। ईश्वर के पास क्‍या नहीं है?सबका सृजनकर्ता तो वही है।ईश्वर…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 11

श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी पंचम: अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्वरी का पंचम अध्याय ‘भगवदप्राप्ति’ है।भगवद्‌प्राप्ति का अभिप्राय है—आत्मा में परम-तत्व का अनुभव करना |यह असीम भगवद्भक्ति का फल है। भगवद्प्राप्ति कठिन है, असंभव नहीं |सद्‌गुरू भगवद्प्राप्ति की युक्ति जानते हैं,वे सिर्फ योग्य भक्त को इसका तरीका बताते हैं।सद्गुरू के आशीर्वाद से…

श्री दासगणु महाराज कि रचना – गुरुपठ अभंग

गुरुपाठ के भजन – हिन्दी अनुवाद अनुवादक – श्रीमती नम्रता बडगे – श्री टिआर माधवन ऊँ साईराम। मैं नम्रता बडगे और श्री टिआर माधवनजी ने मिलकर श्री दासगणु महाराज कि मुल मराठी रचना गुरुपाठ अभंग ओवियोँ को हिन्दी में अनुवाद किया है। साई भक्तों से कासकर जो मराठी भाषा जानते हैं निवेदन है कि इन…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 10

।| श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी चतुर्थ अध्याय: | ।श्री साई ज्ञानेश्वरी का चतुर्थ अध्याय ‘भगवद्भक्ति’ है। ईश्वर के प्रति झुकाव एवं मन में ईश्वर के प्रति लगाव पैदा होना ही भगवद्भक्ति’ है।इस अध्याय में श्री साई के साथ उनके भक्तों के चार संवाद हैं ।श्री साई ने बताया है कि शुद्ध भक्ति…

Grace of Sainath

Once my faith increased on Sainath, I started chanting Sai naam continuously. I used to chant during cooking, walking or in my free time when I was not focused on Engineering studies (coding programs or solving Maths problems). I remember one student of MSc. from Mumbai she came to Bangalore to do her final year…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 9

|| श्री सद्गुरू साईनाथाय नम:अथ श्री साई ज्ञानेश्‍वरी तृतीय अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्‍वरी का तृतीय अध्याय ‘दिव्य ज्ञान’ है |इस अध्याय दुसरा भाग में सद्गुरू श्री साई ने अपने परम भक्‍तश्री नाना साहब चांदोरकर को दिव्य ज्ञान प्रदान किया हे |सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज ने चांदोरकर को बताया हे किईश्वर कौन है, वह…

Teachings of Bhagawan Sri Sathya Sai Baba

Silence Develops Love Silence is the only language of the realised. Practise moderation in speech. That will help you in many ways. It will develop love, for most misunderstandings and factions arise out of carelessly spoken words. When the foot slips, the wound can be healed; but when the tongue slips, the wound it causes…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 8

|| श्री सद्गुरू साईनाथाय नम:अथ श्री साई ज्ञानेश्‍वरी तृतीय अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्‍वरी का तृतीय अध्याय ‘दिव्य ज्ञान’ है |इस अध्याय में सद्गुरू श्री साई ने अपने परम भक्‍त श्री नाना साहब चांदोरकर को दिव्य ज्ञान प्रदान किया हे |सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज ने चांदोरकर को बताया हे कि ईश्वर कौन है, वह…