साईं तेरा शिर्डी इस जग से न्यारा है ।

सांई तेरा शिर्डी इस जग से न्यारा है
हम ना जाएंगे कहीं और यहीं अब रहना है । 

तेरे शिर्डि की हर बात निराली है 
दिन बर भक्तों की होली है रात पाल्की सवारी है 
बस प्रेम के दीपक से सब कुछ उजियारा है । 

हर लता पता भी सांई तेरा नाम ही जपती है 
मीठी नीम की पवन चले तेरी याद दिलाती है 
तेरे नाम ने ही सांई ये भक्त मन निखारा है । 

विनती है यही बाबा इतना तुम कृपा करना 
निर्गन्ध की झोली को एकता नाम खुशबू से भरना 
छोड़ सारे जगत को तेरा नाम पुकारा है । 

नहीं मेरी समर्था कुछ तेरा गुणगान करूँ 
चरणों का दास बनूँ मैं तेरे चरण पर प्राण धरूँ 
तेरा नाम ही जीवन धन यही प्राण प्यारा है । 

जय जय सांईनाथ ।  (लेख-टिआर. माधवन)

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