Sadguru Upasni Maharaj of Sakori

Born in a Hindu Brahmin family at Satana near Nasik on 15th May 1870, Kashinath became Sadguru Upasni Maharaj with the divine grace of Shri Sadguru Narayan Maharaj of Kedgaon and Shri Sadguru Sai Baba of Shirdi. His father was Govind Shastri and mother Rukhminibai. His grandfather Gopal Shastri was a learned Pundit or a…

Param Poojya Shri. K. J. Bhishma

A Sanskrit scripture proclaim “Shateshu Jaayate Shooraha, Sahasreshucha Panditaha” meaning “Among hundred people who take birth, only one will be born as a Warrior and Among thousand people who take birth, only one will be born as a Pandit (Learned Person)”. Shri.Swami Krishnanand (Krishnarao Jageshwar Bhishma) was born like that one in thousands of Pandits….

Madhavrao Wamanrao Adkar (5/9/20-143rd Birth Anniversary)

Shri.Madhavarao Adkar is very popular and stands out amongst Sai Mahabhaktas. He spent most part of his life in the divine presence of Shri Sai Baba. The credit of writing the World famous Aarti of Shri Sai Baba “Aarti Sai Baba Saukhyadaatara Jeeva……” goes to him. He wrote this Aarti with the Grace, total inspiration…

श्री साई दासगणु गुरू चरणों में अर्पण

साईं छवि को सीने से लगा रखा हैसाईं छवि को सीने से लगा रखा हैसाईं छवि को सीने से लगा रखा हैदासगणु ने साई की असीम कृपा को पा रखा हैसाई छवि को सीने से लगा रखा है | गणु की किस्मत की लकीरों को सजाया साईं नेगणु की किस्मत की लकीरों को सजाया साईं…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 15

सभी भक्तों को गूरू पुर्णिमापर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। || श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साईं ज्ञानेश्वरी नवम्‌ अध्याय: ||श्री साई ज्ञानेश्वरी’ का नवम्‌ अध्याय ‘फलश्रुति’ है। श्री साई ज्ञानेश्वरी’ श्री साई की प्रेरणा से रचित है,इस ग्रंथ के पढ़ने से श्री साईं का चित्र आँखों के सामने उभरता है।ग्रंथ का श्रद्धापूर्वक पारायण करने परयह मनवांछित…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 14

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी अष्टम: अध्याय ||श्री साई ज्ञानेश्वरी’ का आठवाँ अध्याय “अर्चना, प्रार्थना एवं विनती’ है। व्यक्ति जब श्री साई के अनन्त ऐश्वर्य का अनुभव करता हैतो उसकी आँखें प्रेम के आँसुओं से छलक उठती हैं,वह भक्ति-भाव के साथ श्री साईं की अर्चना में संलग्न हो जाता है।उसके मन में…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 13

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी सप्तम: अध्याय ||‘श्री साई ज्ञानेश्वरी’ का सातवाँ अध्याय “श्री साई का ऐश्वर्य’ है। श्री साई ने सगुण रूप में अवतार लेकरमानवता के हित के लिए जो कार्य किया,वह किसी सामान्य व्यक्ति के वश की बात नहीं।उसे सिर्फ वही कर सकता हैजिसमें अनन्त शक्ति हो, दिव्य क्षमता हो।…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 12

श्री सदगुरू साईनाथाय नमः |अथ श्री साईं ज्ञानेश्वरी षष्ठम्‌ अध्याय ||श्री साई ज्ञानेश्वरी का छठा अध्याय “ईश्वर का ऐश्वर्य’ है। वह जो सम्पूर्ण शक्ति, सम्पूर्ण यश, सम्पूर्ण धन, सम्पूर्ण ज्ञान, सम्पूर्ण सौन्दर्य एवं सम्पूर्ण त्यागआदि छ: प्रकार के ऐश्वर्य से पूर्ण है, वह ईश्वर है। ईश्वर के पास क्‍या नहीं है?सबका सृजनकर्ता तो वही है।ईश्वर…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 11

श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी पंचम: अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्वरी का पंचम अध्याय ‘भगवदप्राप्ति’ है।भगवद्‌प्राप्ति का अभिप्राय है—आत्मा में परम-तत्व का अनुभव करना |यह असीम भगवद्भक्ति का फल है। भगवद्प्राप्ति कठिन है, असंभव नहीं |सद्‌गुरू भगवद्प्राप्ति की युक्ति जानते हैं,वे सिर्फ योग्य भक्त को इसका तरीका बताते हैं।सद्गुरू के आशीर्वाद से…

श्री दासगणु महाराज कि रचना – गुरुपठ अभंग

गुरुपाठ के भजन – हिन्दी अनुवाद अनुवादक – श्रीमती नम्रता बडगे – श्री टिआर माधवन ऊँ साईराम। मैं नम्रता बडगे और श्री टिआर माधवनजी ने मिलकर श्री दासगणु महाराज कि मुल मराठी रचना गुरुपाठ अभंग ओवियोँ को हिन्दी में अनुवाद किया है। साई भक्तों से कासकर जो मराठी भाषा जानते हैं निवेदन है कि इन…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 10

।| श्री सदगुरू साईनाथाय नमःअथ श्री साई ज्ञानेश्वरी चतुर्थ अध्याय: | ।श्री साई ज्ञानेश्वरी का चतुर्थ अध्याय ‘भगवद्भक्ति’ है। ईश्वर के प्रति झुकाव एवं मन में ईश्वर के प्रति लगाव पैदा होना ही भगवद्भक्ति’ है।इस अध्याय में श्री साई के साथ उनके भक्तों के चार संवाद हैं ।श्री साई ने बताया है कि शुद्ध भक्ति…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 9

|| श्री सद्गुरू साईनाथाय नम:अथ श्री साई ज्ञानेश्‍वरी तृतीय अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्‍वरी का तृतीय अध्याय ‘दिव्य ज्ञान’ है |इस अध्याय दुसरा भाग में सद्गुरू श्री साई ने अपने परम भक्‍तश्री नाना साहब चांदोरकर को दिव्य ज्ञान प्रदान किया हे |सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज ने चांदोरकर को बताया हे किईश्वर कौन है, वह…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 8

|| श्री सद्गुरू साईनाथाय नम:अथ श्री साई ज्ञानेश्‍वरी तृतीय अध्याय: | | श्री साई ज्ञानेश्‍वरी का तृतीय अध्याय ‘दिव्य ज्ञान’ है |इस अध्याय में सद्गुरू श्री साई ने अपने परम भक्‍त श्री नाना साहब चांदोरकर को दिव्य ज्ञान प्रदान किया हे |सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज ने चांदोरकर को बताया हे कि ईश्वर कौन है, वह…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 7

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। द्वितीय: अध्याय – कर्म| | बाबा ने चांदोरकर से कहा– “हे नाना! अब में तुम्हें बद्धस्थिति के लक्षण बताता हूँ. भव-भव के बंधन कैसे बंधते हैं, इसके बारे में बताता हूँ। मन को एकाग्र करो और ध्यानपूर्वक सुनो । जो धर्म-अधर्म को नहीं जानता, ईश्वर कौन है और उसकी…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 6

।| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। द्वितीय: अध्याय – कर्म| | वस्तुतः दोनों का जीवन प्रारब्ध के अधीन है। प्रारब्ध के कारण चोरी करने वाला न पकड़ा जाए, स्वतंत्रतापूर्वक घूमे, परन्तु चोरी के पापकर्म का फल उसका पीछा नहीं छोड़ता, वह उसे कभी न कभी भोगना ही पड़ेगा, उसे भोगने के लिए उसे पुनर्जन्म लेने…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 5

श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। द्वितीय: अध्याय – कर्म| |श्री साईं ज्ञानेश्वरी का द्वितीय अध्याय ‘कर्म’ है। इस अध्याय में सदगुरू श्री साईनाथ महाराज नेनाना साहब चांदोरकर को कर्मा का महत्व बताया है। कर्म दो प्रकार के होते हैं—सत्कर्म और दुष्कर्म |इंसान की मनोवृत्ति उससे सही या गलत कर्म कराती है।कर्म के अनुसार ही कर्मफल…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 4

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। ज्ञान – प्रथम: अध्याय || भंडारे के रूप में भी अन्नदान किया जा सकता है।सामूहिक भंडारा कोई भी, कभी भी, अपनी इच्छा से कर सकता है।घर, जमीन, मकान, दुकान, संपत्ति, अनेक प्रतिष्ठान होने पर, अनुकूल समय चलने पर,मनवांछित इच्छा पूरी होने पर एक हजार व्यक्तियों को अन्नदान करें, या…

ऊँ श्री साईनाथाय नमः।

ऊँ साई राम। दर्शन तेरा लाखों भक्तों ने है पाया । खूशबू तेरी महिमा की उदी ने है फैलाई ।। 1 भक्ति-ज्ञान रस है कैसा क्या कहूँ मैं। है ये चीज़ अलग सी जो तुमने मुझे पिलाई।। 2 लाखों भक्त आते हैं अपनी इच्छा लेकर। जो सत्तिच्छा है उसे पूर्ण किया है तूने साई।। 3…

श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 3

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नम: ।।।। ज्ञान – प्रथम: अध्याय || इस संसार में किसी के पास तेज गति से चलने के लिए गाड़ी है, तो किसी के पास रहने के लिए आलीशान मकान है। किसी के पास जाड़े की रात बिताने के लिए पर्याप्त वस्त्र नहींतो किसी को कपड़ों के अभाव में निर्वस्त्र ही…

श्री साईं ज्ञानेश्वरी : भाग 2

भाग 2 वंदना गणनायक गणराज तुम, कहते तुम्हे गणेश | प्रथम वंदना आपको, किरपा करो अशेष || (विनायक) लिखते हैं जब ग्रंथ को, करके तुमको याद | मंगल सरिता काव्य की, करती कल-कल नाद।। (विनायक) माँ! तेरे आशीष से, वीणा में झंकार | वाणी का वरदान दो, गूँजे स्वर के तार।। (शारदे) बसकर मानस में…

श्री साईं ज्ञानेश्वरी

ऊँ सद्गुरू श्री साईनाथाय नम: भूमिका ‘श्री साई ज्ञानेश्वरी’ सदगुरू साईनाथ महाराज के दिव्य ज्ञान का एक अनमोल ग्रंथ है। इसमें जीवन का व्यावहारिक ज्ञान है। यह ज्ञान समसामयिक है और आज कं युग में दुनिया के लिए अत्यन्त उपयोगी है। इस ज्ञान में वह क्षमता है जो व्यक्ति के जीवन को सार्थकता प्रदान करता…

Shirdi Sai Devotee – Sri Narayan Asram

Sri Narayan Asram. Dady Agiary St., BOMBAY. Sanyasi and Disciple Of Vedasrama Swami (Taraka Mutt, Durgaghat, Kashi), Residing At Vaman Muth, Gangapuri Wai, (Satara District), Aged 58, 23rd SEPT. 1936 I knew Sai Baba, i.e., heard the name and the greatness of Sai Baba in 1910 from Das Ganu Maharaj’s kirtana. I asked him, “Is…

Abdul : Baba’s devotee

Abdul : son of Sultan of Nanded in Khandesh, Aged about 65, Mussulman, residing at Shirdi 8th December, 1936 I came to Shirdi 45 years ago (1889) from Nanded on the banks of Tapti. I was under the care of Fakir Amiruddin of Nanded. Sai Baba appeared in the dream of that Fakir and delivering…

Abdullah Jan : Sai Baba’s devotee

Originally Of Tarbella, Hazara District, Near Peshawar, Muhammadan, Pathan, Living For Years At Korhale Near Sakori, Aged 40, Shirdi, 5th November, 1936. I had left Tarbella when I was quite a boy. I had none to support me and I wished to go abroad and see Mecca, etc. So I travelled down south to Manmad….

Chandrabai : Baba’s Devotee

Chandrabai: aged 66, wife of late Ramachandra Borkar, Ville Parle, 1936. I am a worshipper of Sai Baba for the last 44 years or so. Blessed & fortunate to see Baba for first time at Shirdi 20 years before his Mahasamadhi. I still retain a good quantity of the udhi which he gave me each…

Shirdi Sai Baba’s Ardent Devotee – Shivammataayee

Born on 16-5-1891 in a village called VELLAI KINARU near Coimbatore in Tamil Nadu. About herself as narrated by Raajamma/ShivammaThayee:- Her uncle (father’s elder brother) Thangavel Gounder brought Shirdi Sai Baba to a village near Pollachi in the year 1906 (In Sai Satcharithra, we were told that Baba never really went outside Shirdi & its nearby villages….

Radhakrishna Mayee

Original name of Radhakrishna Mai was Sundari Bai Kshirsagar. In 1899 A.D. Sundari Bai Kshirasagar turned 17 years of age and she got married to one Sri.Daithankar and was hence called by the name “Sundari Bai Dahitankar”. Due to fate, the husband of Sundaribai Kshirsagar passed away on the eighth day of the marriage. This…

सदगुरु साईं तेरे चरणों को सब गुरु महानो का समझकर….

धन्य धन्य है गुरु पुर्णिमा का पर्व । सभी गुरु महानो को अभिनन्दन समर्पित करने का पर्व । करते हैं सभी महापुरुषों को वन्दना एवं आराधना । उनमे हम है करते साई की उपासना । सदगुरु साईं का प्यार अपरमपार । मिलता ज्ञान का अमृत, जो भक्त आते उसके द्वार । मांगने से पहले देता…

ये फुल पत्ता

ये फूल पत्ते साई नाम जप रहे हैं, पक्षी भी जप रहे हैं, साथ इनके सारा संसार साई नाम जप रहा है ।। साथ इनके सारा संसार साई नाम जप रहा है ।। ये फूल पत्ते साई नाम जप रहे हैं, पक्षी भी जप रहे हैं, साथ इनके सारा संसार साई नाम जप रहा है…

हे दुःख भन्जन, शील्दी संतन…

जय श्री साईं श्री साईं राम श्री साईं राम हे दुःख भन्जन, शील्दी संतन, सुन लो मेरी पुकार शांति स्वरूप विनती बारम्बार अपरम्पार है शक्ति शिर्डि वासी, तुम पर रीझे पंडरपुर हरि भक्ति भाव से ध्याऊं तोहे, कर दुखों से पार शांति स्वरूप विनती बारम्बार शांति स्वरूप विनती बारम्बार हे दुःख भन्जन, शील्दी संतन, सुन…

साईं नाम जप सुकून मिलता है, कोई जपके देखले ।

साईं नाम जप सुकून मिलता है, कोई जपके देखले । आ जाते हैं साईं कोई बुलाके देखले । साईं नाम जप सुकून मिलता है, कोई जपके देखले । जैसे सोचा मन में गुरु को, वैसा ही पाया । शिर्डी सुत वापस लौटे, बैझा ने बेटा पाया । रोटी वो माँ बैझा खिलाये जैसे उसे खिलके…

श्री सदगुरू साईनाथ कीर्ति माला।

दोहाश्रध्दा सबुरी सिकाई शिर्डी सूत, जानत सकल जहान | धन्य-धन्य सत्गुरु देवा, संकट हर साईं महान || १ श्री सदगुरू साईंनाथ कीर्ति गान । श्री गणनायक बुद्धि प्रदायक । साईं सत्चरित्र सूनाने कृपा करें देवा ।। ऊँ साईं श्री साईं जय जय साईं । ऊँ साईं श्री साईं जय जय साईं ।। श्री साईं साक्षात…

साईं तेरा शिर्डी इस जग से न्यारा है ।

सांई तेरा शिर्डी इस जग से न्यारा है हम ना जाएंगे कहीं और यहीं अब रहना है ।  तेरे शिर्डि की हर बात निराली है दिन बर भक्तों की होली है रात पाल्की सवारी है बस प्रेम के दीपक से सब कुछ उजियारा है ।  हर लता पता भी सांई तेरा नाम ही जपती है मीठी नीम की…