श्री साई ज्ञानेश्वरी – भाग 15

सभी भक्तों को गूरू पुर्णिमा
पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

|| श्री सदगुरू साईनाथाय नमः
अथ श्री साईं ज्ञानेश्वरी नवम्‌ अध्याय: ||
श्री साई ज्ञानेश्वरी’ का नवम्‌ अध्याय ‘फलश्रुति’ है।

श्री साई ज्ञानेश्वरी’ श्री साई की प्रेरणा से रचित है,
इस ग्रंथ के पढ़ने से श्री साईं का चित्र आँखों के सामने उभरता है।
ग्रंथ का श्रद्धापूर्वक पारायण करने पर
यह मनवांछित फल देता है।
श्री साई ज्ञानेश्वरी’ भक्तों के लिए कल्पतरू है, कामधेनु है।
इसकी शीतल छाया में शांतिपूर्वक बैठकर
ध्यान धरने एवं मनन करने की आवश्यकता है ।

श्री साईं ज्ञानेश्वरी” का विधिपूर्वक पारायण करें,
एक निश्चित अवधि तक नियमित श्रद्धापूर्वक पारायण करें,
ग्रंथ का पारायण पूर्ण होने पर फलश्रुति की प्राप्ति होती है,
पुस्तक में इसका संकेत किया गया है।

आइये, अब हम श्री साई ज्ञानेश्वरी’ के नवम्‌ अध्याय का पारायण करते हैं।

श्री साई ज्ञानेश्वरी, साई रचनाकार |
पारायण से होत है, भक्ति का संचार । |
खाली झोली ना रहे, सिद्ध होय सब काम |
पूरण हो हर कामना, मिले मुक्ति का धाम।।

जो भक्त इस ग्रंथ का प्रेमपूर्वक पठन करेगा,
उसकी समस्त सत्कामनाएँ श्री साईनाथ महाराज अवश्य पूर्ण करेंगे |

जो भक्त इस ग्रंथ का प्रतिदिन प्रेमपूर्वक पठन एक वर्ष तक करेगा,
उसके त्रिविध ताप श्री साईनाथ महाराज अवश्य दूर करेंगे,
उसे रक्षा-सुरक्षा के दिव्य कवच का वरदान प्राप्त होगा।

जो भक्त इस ग्रंथ का शुद्ध मन से नित्य प्रेमपूर्वक पठन करेगा,
उसके मन में शुद्ध भावों का संचार होगा
और उसका मन श्री साईनाथ महाराज के चरणों में लीन हो जाएगा ।

जिन लोगों के लिए एक वर्ष तक या नित्य पठन कर पाना संभव नहीं,
वे प्रत्येक गुरूवार को सदगुरू श्री साईनाथ महाराज का
मन में ध्यान करते हुए इस ग्रंथ का पारायण करें।
ऐसा करना अवश्य ही लाभकारी सिद्ध होगा।

जिन लोगों के लिए प्रत्येक गुरूवार पारायण कर पाना संभव नहीं,
वे प्रत्येक एकादशी को सद्‌गुरू श्री साईनाथ महाराज का
मन में ध्यान करते हुए इस ग्रंथ का पठन करें|
ऐसा करना भी अवश्य प्रभावी होगा
और आश्यर्चजनक रूप से फलदायक सिद्ध होगा।

जो भक्त विश्वास के साथ इस ग्रंथ का पठन करेगा,
उसकी आध्यात्मिक उन्नति होगी
और सद्गुरू श्री साईनाथ महाराज
उसकी सारी भौतिक आवश्यकताएँ तत्काल पूर्ण करेंगे |

इस ग्रंथ का बार-बार पारायण करने से
मंदबुद्धि भी बुद्धिमान हो जाएगा,
अज्ञानी भी ज्ञानी बनेगा,
आपत्काल में व्यक्ति अकाल मृत्यु के प्रकोप से सुरक्षित बचेगा
और अल्पायु भी शतायु को प्राप्त करेगा |

इस ग्रंथ का बार-बार पारायण करने से
सांसारिक जीवन में अर्थ का कभी अभाव नहीं होगा
और निर्धन के घर में कुबेर स्वयं आकर वास करेगा ।
यह सत्य है, सत्य है, चिरन्तन सत्य है।

इस ग्रंथ का पारायण करने से निःसंतान स्त्रियाँ पुत्रवती होंगी,
और असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्ति निरोग होकर पूर्ण स्वस्थ होंगे |

इस ग्रंथ का नित्य प्रतिदिन प्रेमपूर्वक पारायण करने से
भय एवं चिन्ता दूर होगी,
मान-सम्मान एवं प्रतिष्ठा बढ़ेगी
और ब्रह्म की अनश्वरता की अनुभूति होगी ।

हे बुद्धिमान भकत-जनों!
इस ग्रंथ के पारायण के साथ
अपने मन में पूर्ण विश्वास रखो
एवं किसी प्रकार के तर्क-वितर्क,
शंका-कुशंका एवं मिथ्या धारणा को
रंच-मात्र भी प्रश्रय न दो।

हे बुद्धिमान भकत-जनों!
तुम शिरडी तीर्थ को जाओ,
साईनाथ के चरण-कमलों में अपना ध्यान केन्द्रित करो,
बाबा के श्रीचरणों में अपना चित्त धर दो |
तुम्हारा कल्याण अवश्य होगा
क्योंकि सद्गुरू साई अनाथों के नाथ हैं,
भक्तों के लिए कल्पवक्ष हैं|

दीन दुखी संसार के, पालक साईनाथ |
याद करे जो प्रेम से, साई उसके साथ ||
ज्ञान भक्ति और कर्म हैं, मुक्ति के पथ तीन।
ज्ञानेश्वरी में भक्त का, रहे सदा मन लीन।।

// श्री सदयुरुसाईनाथार्पणयर्तु / शुथय्‌ भवतु //
इति श्री साई ज्ञानेश्वरी नवयी अध्याय: //
© श्री राकेश जुनेजा कि अनुमति से पोस्ट किया है।

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