ऊँ साई राम।
दर्शन तेरा लाखों भक्तों ने है पाया ।
खूशबू तेरी महिमा की उदी ने है फैलाई ।। 1
भक्ति-ज्ञान रस है कैसा क्या कहूँ मैं।
है ये चीज़ अलग सी जो तुमने मुझे पिलाई।। 2
लाखों भक्त आते हैं अपनी इच्छा लेकर।
जो सत्तिच्छा है उसे पूर्ण किया है तूने साई।। 3
माना की तुमने एकता का बल दिखाया लोक को।
वो अपनापन बिखर रहा है लौट आओ साई।। 4
दुःख सुख है कभी सुख दु:ख है कभी ये पहले न जाना।
है ये अर्थ तेरी ज्ञानपाठ ने है सिखाया ।। 5
शरणार्थी तेरे होकर ये महाभाग्य हुआ है।
जिस अन्धेरे से निकला हुँ तेरे सत्वचन उसमे उजाले ले लाये।। 6
ऊँ श्री साईनाथाय नमः।।